भगवान विष्णु के छठे अवतार के जन्म दिवस के रूप में हर वर्ष परशुराम जयंती मनाई जाती है। परशुराम जयंती हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम जी का जन्म प्रदोष काल में तृतीया तिथि को हुआ था। हर साल परशुराम जयंती का उत्सव प्रदोष काल में ही मनाया जाना चाहिए। इस वर्ष परशुराम जयंती 14 मई के दिन शुक्रवार को है और इस दिन अक्षय तृतीया भी है, इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है।
जन्मोत्सव का शुभ मुहूर्त
14 मई शुक्रवार को प्रातः 10:36 से 12:18 तक परशुराम जयंती का शुभ मुहूर्त रहेगा। जन्मोत्सव के समय राहुकाल का ध्यान अवश्य रखें।
परशुराम जयंती पूजा मुहूर्त
धार्मिक मतों के अनुसार यदि प्रदोष काल में परशुराम जयंती मनाना उत्तम रहता है। तो आपको 14 मई को प्रदोष काल में परशुराम जी का जन्मोत्सव मनाया चाहिए। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि के पूर्व के समय को कहा जाता है। इस दिन सूर्यास्त से शाम को 7:04 पर होगा।
परशुराम जयंती का महत्व
परशुराम जयंती का महत्व तो आप इस बात से ही समझ गए होंगे कि परशुराम जी भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार परशुराम जी एकमात्र से अवतार हैं, जो आज भी धरती पर जीवित हैं। दक्षिण भारत के उडुपी के पास परशुराम जी का बड़ा मंदिर है। कल्कि पुराण के अनुसार जब कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे जो परशुराम जी ही उनको अस्त्र शस्त्र में पारंगत करेंगे।